आओ मिलकर निभाएं ,कुछ कर्तव्य हमारे । आओ मिलकर निभाएं ,कुछ कर्तव्य हमारे ।
एक होने केे सवाल पर छुप रही है सियासत, आपदा में अवसर ढूंढ रही है सियासत। एक होने केे सवाल पर छुप रही है सियासत, आपदा में अवसर ढूंढ रही है सियासत।
कौन जानता था कि वक्त के तेवर यूँ भी पलटते हैं! कौन जानता था कि वक्त के तेवर यूँ भी पलटते हैं!
मजदूरों की बस्ती में सब उखड़ा उखड़ा रहता है, शहर चमकता रहता है और गाँव उजड़ा रहता है। मजदूरों की बस्ती में सब उखड़ा उखड़ा रहता है, शहर चमकता रहता है और गाँव उजड़ा रहत...
ये वक़्त बेहद नाज़ुक़ है कोरोना का पड़ा इक चाबुक है! ये वक़्त बेहद नाज़ुक़ है कोरोना का पड़ा इक चाबुक है!
वक़्त से शिकायत थी जिनको आज ना जाने मौन क्यों हैं! वक़्त से शिकायत थी जिनको आज ना जाने मौन क्यों हैं!